09 October 2025
पुलिस कांस्टेबल भर्ती घोटाले में आरोपी को मिली सजा, बायोमेट्रिक ने खोला राज

पुलिस कांस्टेबल भर्ती घोटाले में आरोपी को मिली सजा, बायोमेट्रिक ने खोला राज

उज्जैन। पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा में अपनी जगह किसी और को परीक्षा दिलवाने वाले एक अभ्यर्थी को कोर्ट ने दोषी मानते हुए 2 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला वर्ष 2016 का है, जब आरोपी रामअवतार रावत ने फर्जी परीक्षार्थी भेजा था। अब लगभग 9 साल बाद न्यायालय ने उसे दोषी करार देते हुए सख्त सजा दी है।

मीडिया सेल प्रभारी कुलदीप सिंह भदौरिया ने बताया कि वर्ष 2016 में उज्जैन में आयोजित पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा के दौरान कंप्यूटर बायोमेट्रिक जांच के तहत परीक्षार्थियों के अंगूठे के निशान और अन्य पहचान चिन्हों का मिलान किया जा रहा था। इसी दौरान रोल नंबर 212224147 पर उपस्थित परीक्षार्थी रामअवतार, निवासी ग्राम मांगरोल, तहसील सबलगढ़, जिला मुरैना का थंब इम्प्रेशन सिस्टम से मेल नहीं खाया।

जांच में पता चला कि उसके अंगूठे पर कोई चिपचिपा पदार्थ लगा हुआ था, जिससे शक और गहरा गया। जब सख्ती से पूछताछ की गई तो आरोपी ने कबूल किया कि उसकी जगह एक युवक विमल ने परीक्षा दी थी।

इस खुलासे के बाद थाना माधवनगर पुलिस ने तत्काल मामला दर्ज कर जांच शुरू की। अभियोजन अधिकारी हार्दिक देवकर (एडीपीओ) द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत किए गए ठोस तर्कों और सबूतों के आधार पर न्यायालय ने आरोपी रामअवतार रावत को भारतीय दंड संहिता की धारा 419 (व्यक्ति को धोखे से किसी अन्य के रूप में प्रस्तुत करना) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी पाया।

कोर्ट ने उसे दो साल के सश्रम कारावास के साथ 3,000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। यह फैसला नकल व फर्जीवाड़े पर रोक लगाने की दिशा में एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है।