08 October 2025
संसद में वोटर वेरिफिकेशन पर दूसरे दिन भी हंगामा, विपक्ष ने उठाया 124 साल की मिंता देवी का मुद्दा

संसद में वोटर वेरिफिकेशन पर दूसरे दिन भी हंगामा, विपक्ष ने उठाया 124 साल की मिंता देवी का मुद्दा

नई दिल्ली — संसद के मानसून सत्र में मंगलवार को भी वोटर वेरिफिकेशन का मुद्दा गरमा गया और विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ जोरदार हंगामा किया। विपक्ष का आरोप है कि बिहार में चुनाव आयोग की मतदाता सूची में ‘मिंता देवी’ नामक एक महिला का नाम दर्ज है, जिनकी उम्र 124 साल बताई गई है और वह पहली बार मतदान करने वाली हैं। विपक्षी सांसदों ने इस मामले को चुनावी प्रक्रिया में गंभीर खामी का उदाहरण बताते हुए कहा कि यह केवल एक व्यक्ति की गलती नहीं, बल्कि पूरे देश में मतदाता सूचियों में हो रही गड़बड़ियों का संकेत है।

सुबह से ही संसद के दोनों सदनों में विपक्षी सांसदों ने काले अक्षरों में ‘मिंता देवी’ का नाम और उनकी तस्वीर छपी टी-शर्ट पहनकर विरोध प्रदर्शन किया। लोकसभा में हंगामा इतना बढ़ गया कि कार्यवाही दोपहर 3 बजे तक स्थगित करनी पड़ी, वहीं राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक रोकनी पड़ी। विपक्ष ने जोर देकर कहा कि यदि चुनाव आयोग की मतदाता सूचियों में इस प्रकार की गलतियां हैं, तो यह मतदाता पहचान और चुनाव की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। उनका कहना था कि यह मामला केवल उम्र या नाम की त्रुटि तक सीमित नहीं है, बल्कि चुनावी ढांचे की साख पर सीधा हमला है, जिसे समय रहते सुधारा जाना बेहद जरूरी है।

यह विवाद सोमवार से ही शुरू हो गया था, जब विपक्ष ने संसद में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी। लेकिन बहस न हो पाने के कारण आठ विधेयक बिना चर्चा के ही पारित कर दिए गए थे। लोकसभा में नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, नेशनल एंटी-डोपिंग (संशोधन) बिल, इनकम टैक्स (नंबर 2) बिल और टैक्सेशन लॉ (संशोधन) बिल पास किए गए। वहीं, राज्यसभा में गोवा में अनुसूचित जनजातियों के विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्संयोजन से जुड़ा बिल, मर्चेंट शिपिंग बिल, मणिपुर विनियोग बिल और मणिपुर जीएसटी (संशोधन) बिल को मंजूरी दी गई। विपक्ष ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि संसद में बहस को नज़रअंदाज़ कर बिल पारित करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान है।

इससे पहले सोमवार को 300 से अधिक विपक्षी सांसदों ने संसद से चुनाव आयोग के दफ्तर तक मार्च निकाला था। इस मार्च में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी दलों के बड़े नेता शामिल थे। मार्च के दौरान पुलिस ने सभी को हिरासत में ले लिया था, हालांकि करीब दो घंटे बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। विपक्षी दलों ने साफ चेतावनी दी है कि जब तक वोटर वेरिफिकेशन प्रक्रिया की स्वतंत्र जांच नहीं कराई जाती और मतदाता सूची में सुधार की ठोस गारंटी नहीं दी जाती, तब तक संसद में विरोध जारी रहेगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ‘मिंता देवी’ विवाद आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पारदर्शिता को लेकर एक बड़े राजनीतिक मुद्दे में बदल सकता है। यदि विपक्ष लगातार इसे उठाता रहा, तो यह चुनावी माहौल में जनचर्चा का केंद्र बन सकता है। वहीं, सरकार की ओर से अब तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे विवाद और गहराता जा रहा है। विपक्ष का मानना है कि यह सिर्फ एक गलती नहीं, बल्कि चुनावी प्रणाली में मौजूद खामियों की झलक है, जिन पर अगर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया, तो यह लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरा बन सकती हैं।