09 October 2025
मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सात आरोपी बरी, कोर्ट ने कहा- धमाका हुआ, पर साजिश साबित नहीं

मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा समेत सभी सात आरोपी बरी, कोर्ट ने कहा- धमाका हुआ, पर साजिश साबित नहीं

मुंबई/मालेगांव | 31 जुलाई 2025

महाराष्ट्र के चर्चित मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 साल बाद बड़ा फैसला आया है। NIA की विशेष अदालत ने गुरुवार को साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित और अन्य पांच आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। कोर्ट ने माना कि मालेगांव में धमाका हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं हो सका कि जिस मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ, वह साध्वी प्रज्ञा के नाम थी या उसमें विस्फोटक रखा गया था।

विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष यह सिद्ध करने में असमर्थ रहा कि बम मोटरसाइकिल में रखा गया था और वह मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा की थी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कर्नल प्रसाद पुरोहित द्वारा बम तैयार करने का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है। इसके साथ ही किसी प्रकार की सुनियोजित साजिश की बात भी न्यायालय में प्रमाणित नहीं हो सकी।

यह फैसला लगभग साढ़े 17 साल तक चले इस मुकदमे का निष्कर्ष है, जिसमें कई बार जांच एजेंसियां और न्यायिक अधिकारी बदले गए। पहले इस मामले की जांच महाराष्ट्र एटीएस कर रही थी, जिसे 2011 में एनआईए को सौंप दिया गया। 2016 में एनआईए ने इस केस में चार्जशीट दाखिल की थी। पूरे मामले के दौरान तीन जांच एजेंसियां और चार जज बदल चुके हैं।

कोर्ट ने यह भी कहा कि विस्फोट के बाद घटनास्थल का पंचनामा विधिवत नहीं किया गया, फिंगरप्रिंट नहीं लिए गए और जिस मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ, उसका चेसिस नंबर भी बरामद नहीं हुआ। इसलिए यह स्थापित नहीं किया जा सका कि मोटरसाइकिल वास्तव में साध्वी प्रज्ञा की थी। साथ ही यह तथ्य भी सामने आया कि घायल लोगों की संख्या को लेकर भी भ्रम रहा और मेडिकल दस्तावेजों में फेरबदल की संभावना से इनकार नहीं किया गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि घायल लोगों की वास्तविक संख्या 101 नहीं बल्कि 95 थी।

29 सितंबर 2008 को मालेगांव के भीड़भाड़ वाले इलाके में बम विस्फोट हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों लोग घायल हुए थे। शुरुआती जांच में आरोप लगाया गया कि धमाके में प्रयुक्त मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा के नाम पंजीकृत थी, जिसके आधार पर उन्हें मुख्य आरोपी बनाया गया था।

कोर्ट के इस फैसले के बाद साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी को राहत मिली है। ये सभी लंबे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे और बार-बार दावा करते रहे थे कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है।

यह फैसला केवल कानूनी दृष्टि से ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसमें हिंदू राइट विंग से जुड़े नेताओं पर आतंकी साजिश के आरोप लगे थे। अब जबकि अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है, यह मामला भारतीय न्याय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन गया है।