09 October 2025
केदारनाथ आपदा के 12 साल बाद फिर शुरू होगी कंकालों की तलाश, हजारों लोग अब भी लापता

केदारनाथ आपदा के 12 साल बाद फिर शुरू होगी कंकालों की तलाश, हजारों लोग अब भी लापता

उत्तराखंड में 2013 में आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। बादल फटने और बाढ़ की विभीषिका में हजारों लोगों की जानें गईं और कई अब भी लापता हैं। इस त्रासदी को एक दशक से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन आज भी सैकड़ों परिवार अपने परिजनों की तलाश में भटक रहे हैं। अब एक बार फिर केदारनाथ में लापता लोगों के कंकालों की खोज शुरू होने जा रही है।

उत्तराखंड हाईकोर्ट में इस संबंध में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें लापता लोगों के कंकालों की खोज कर उनका सम्मानजनक अंतिम संस्कार कराने की मांग की गई थी। अदालत के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने वर्ष 2025 में पुनः खोजी अभियान चलाने की तैयारी शुरू कर दी है। उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि इस वर्ष फिर से सर्च टीमों को केदारनाथ और आसपास के पैदल मार्गों पर भेजने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि अब तक की कार्रवाई की रिपोर्ट को हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।

गौरतलब है कि 2013 की आपदा के बाद से 3,075 लोग अब भी लापता माने जा रहे हैं। इन वर्षों में सरकार ने चार बार खोजी अभियान चलाए हैं, लेकिन यह प्रयास अब तक अधूरे साबित हुए हैं। साल 2020 में तलाशी अभियान के दौरान खोजी दलों को चट्टी और गोमुखी क्षेत्र में 703 नरकंकाल बरामद हुए थे। इसके पहले 2014 में 21 और 2016 में 9 नरकंकाल मिले थे। नवंबर 2024 में भी 10 टीमें विभिन्न मार्गों पर भेजी गई थीं, लेकिन उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली।

हाईकोर्ट ने वर्ष 2016 और 2019 में सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि वह लापता 3,075 लोगों के अवशेषों की तलाश करे और उनका विधिपूर्वक अंतिम संस्कार करे। इसके बाद सरकार ने केदारनाथ क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन शुरू किया था, लेकिन दुर्गम इलाकों, मौसम की चुनौतियों और समय बीत जाने के कारण कार्य सीमित रहा।

खोजे गए कंकालों के डीएनए नमूनों की जांच भी की गई, ताकि उनकी पहचान उनके परिजनों से कराई जा सके। करीब 6000 लोगों ने डीएनए सैंपल दिए थे, लेकिन इनमें से किसी का मिलान उन 702 मृतकों से नहीं हो सका जिनकी अब तक पहचान नहीं हो पाई है। ये 702 शव आज भी गुमनाम हैं और अपने नाम की प्रतीक्षा में हैं। पुलिस विभाग के पास इन सभी मृतकों के डीएनए रिपोर्ट मौजूद हैं, लेकिन तकनीकी बाधाएं और परिवारों की पहचान में कठिनाई के कारण इनमें से किसी की भी पुष्टि नहीं हो सकी है।

सरकार अब एक बार फिर बड़े स्तर पर खोजी अभियान शुरू करने जा रही है। इसका उद्देश्य न केवल कंकालों की बरामदगी है, बल्कि उन्हें उनके परिजनों तक पहचान के माध्यम से पहुँचाना और फिर उन्हें सम्मानपूर्वक अंतिम विदाई देना है। यह कदम उन हजारों परिवारों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो बीते 12 वर्षों से अपनों की याद में जी रहे हैं, लेकिन closure नहीं पा सके हैं।

केदारनाथ आपदा न केवल एक भौगोलिक संकट थी, बल्कि यह उन अनगिनत भावनाओं और कहानियों की भी कब्रगाह बनी जो अब भी अनसुनी हैं। यह खोजी अभियान उन आवाज़ों को सुनने और उन्हें न्याय देने का प्रयास है। सरकार की ओर से यह आश्वासन दिया गया है कि हरसंभव संसाधन झोंके जाएंगे और इस बार प्रयास अधूरा नहीं रहेगा।

यदि आप भी इस आपदा में किसी प्रियजन को खो चुके हैं और अब तक उनकी कोई खबर नहीं मिली है, तो आप अपने डीएनए सैंपल संबंधित पुलिस विभाग या आपदा प्रबंधन कार्यालय में जमा करा सकते हैं। यह आपकी एक कोशिश, किसी की पहचान और परिवार की शांति की वजह बन सकती है।