09 October 2025
‘पीरियड्स चेकिंग’ के नाम पर बच्चियों का अपमान, ठाणे स्कूल में प्रिंसिपल हिरासत में

‘पीरियड्स चेकिंग’ के नाम पर बच्चियों का अपमान, ठाणे स्कूल में प्रिंसिपल हिरासत में

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक प्राइवेट स्कूल में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां कक्षा 5वीं से 10वीं तक की छात्राओं के कपड़े उतरवाकर यह जांच की गई कि उन्हें पीरियड्स हैं या नहीं। मामला सामने आने के बाद अभिभावकों ने स्कूल में हंगामा किया, जिसके बाद पुलिस ने स्कूल की प्रिंसिपल को हिरासत में ले लिया है और पूछताछ शुरू कर दी है।

ऐसे सामने आया मामला
जानकारी के अनुसार, स्कूल के टॉयलेट में खून के धब्बे पाए गए थे। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने सभी छात्राओं को स्कूल के कन्वेंशन हॉल में बुलाया और प्रोजेक्टर पर टॉयलेट की तस्वीरें दिखाकर उनसे पूछा कि किस-किस को पीरियड्स चल रहे हैं। जिन छात्राओं ने ‘हां’ में जवाब दिया, उनके उंगलियों के निशान लिए गए, जबकि जिन्होंने ‘नहीं’ कहा, उन्हें बारी-बारी से टॉयलेट में ले जाकर कपड़े उतरवाने के लिए मजबूर किया गया और उनके प्राइवेट पार्ट्स की जांच की गई।

अभिभावकों का स्कूल में हंगामा
जब छात्राओं ने घर जाकर यह घटना अपने अभिभावकों को बताई, तो वे आक्रोशित होकर स्कूल पहुंच गए और प्रिंसिपल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए स्कूल में हंगामा कर दिया। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और प्रिंसिपल को हिरासत में लेकर शहापुर पुलिस स्टेशन ले गई। इस दौरान स्कूल की ओर से वकील अभय पितळे पहुंचे, लेकिन गुस्साए अभिभावकों ने उन्हें घेर लिया और उन पर हमला करने की कोशिश की। हालांकि, पुलिस ने स्थिति को संभालते हुए वकील को भीड़ से सुरक्षित बाहर निकाला।

पुलिस ने इस मामले में शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और कहा है कि मामले की गहराई से जांच की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

UNICEF रिपोर्ट: पीरियड्स के कारण स्कूल छोड़ देती हैं लाखों लड़कियां
2019 में यूनिसेफ द्वारा किए गए एक सर्वे में सामने आया था कि भारत में हर साल करीब 2.3 करोड़ लड़कियां पीरियड्स शुरू होने के बाद स्कूल जाना बंद कर देती हैं। इसी कारण हर साल करीब 10 करोड़ लड़कियों की कम उम्र में शादी कर दी जाती है। इनमें से करीब 54% लड़कियां एनीमिया से ग्रसित होती हैं। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों की लड़कियों में यह स्थिति और भी ज्यादा गंभीर है।

शिक्षा मंत्रालय ने जारी की थी पीरियड्स अवेयरनेस की एडवाइजरी
पिछले साल शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन एंड लिटरेसी ने बोर्ड एग्जाम के दौरान स्कूलों के लिए एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के दौरान छात्राओं को पीरियड्स होने पर मुफ्त सैनिटरी नैपकिन मुहैया कराए जाएं। इसके अलावा, जरूरत पड़ने पर उन्हें ब्रेक दिया जाए और परीक्षा केंद्रों पर रेस्टरूम की सुविधा सुनिश्चित की जाए।

इस घटना ने स्कूल में बेटियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजनों और बाल अधिकार संगठनों ने स्कूल प्रबंधन और संबंधित जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस फिलहाल मामले की जांच में जुटी हुई है।