09 October 2025
20 लाख की दवाएं खराब, अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर सवाल

20 लाख की दवाएं खराब, अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर सवाल

इंदौर, 8 अगस्त – शहर के प्रतिष्ठित सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के ड्रग स्टोर में डीन द्वारा की गई औचक जांच में भारी लापरवाही और अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। जांच में करीब 20 लाख रुपये की जीवनरक्षक दवाएं, महंगे कैंसर इंजेक्शन, वैक्सीन और सर्जिकल सामग्री या तो एक्सपायरी पाई गईं या फिर गलत तरीके से रखी गई थीं, जिससे उनकी गुणवत्ता और प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

यह औचक निरीक्षण बुधवार सुबह डीन डॉ. डी.के. शर्मा ने किया। उनके साथ डॉ. सुनील आर्य, डॉ. पंकज पराशर, फार्मासिस्ट राकेश गोरखे और रजनीत सिलावट भी मौजूद थे। टीम ने करीब एक घंटे तक ड्रग स्टोर का बारीकी से निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

सबसे पहले, स्टोर में रिटुक्सीमैब नामक महंगी कैंसर की दवा के 500 से अधिक इंजेक्शन एक खराब फ्रीजर में रखे मिले, जिससे उनका तापमान नियंत्रित नहीं हो पा रहा था। इतना ही नहीं, कई महंगी वैक्सीन और बायोलॉजिकल ड्रग्स को कोल्ड चेन में रखने के बजाय कमरे के तापमान पर ही छोड़ दिया गया था, जो उनकी प्रभावशीलता पर सीधा असर डाल सकता है। कई आईवी फ्लूइड्स ज़मीन पर बेतरतीब पड़े मिले, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया था।

जांच में यह भी पाया गया कि एक्सपायर्ड दवाओं का कोई अलग रजिस्टर नहीं था और स्टॉक रजिस्टर में दर्ज आंकड़े और वास्तविक स्टॉक में बड़ा अंतर था। इसका मतलब है कि दवाओं का रिकॉर्ड सही तरीके से नहीं रखा जा रहा था।

डीन डॉ. शर्मा ने मौके पर ही सभी खराब और एक्सपायर्ड दवाओं को जब्त कर उनकी सूची बनाई और उन्हें डीन ऑफिस की अभिरक्षा में रखा। उन्होंने सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के सिविल सर्जन डॉ. सुमित शुक्ला और उनकी टीम पर गंभीर नाराज़गी जताई और इस लापरवाही के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया।

सूत्रों का दावा है कि इनमें से कुछ महंगी दवाएं अस्पताल से बाहर भी बेची गई हो सकती हैं, जिससे न केवल गंभीर आर्थिक अनियमितताओं का अंदेशा है, बल्कि यह मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ के बराबर है। फिलहाल इस मामले में अस्पताल प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस पर विस्तृत जांच की जाएगी।

यह घटना अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है और यह साबित करती है कि जीवनरक्षक दवाओं के प्रबंधन में जरा-सी लापरवाही भी मरीजों की जान के लिए घातक साबित हो सकती है।