09 October 2025
इंदौर में खदान के पानी में डूबे दो मासूम, दर्दनाक मौत; दो दिन में दूसरी घटना से मचा हड़कंप

इंदौर में खदान के पानी में डूबे दो मासूम, दर्दनाक मौत; दो दिन में दूसरी घटना से मचा हड़कंप

बाणगंगा थाना क्षेत्र की घटना, खेलते समय हुआ हादसा; प्रशासन और बिल्डरों की लापरवाही उजागर

इंदौर में सोमवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां बाणगंगा थाना क्षेत्र में स्थित एक निर्माणाधीन टाउनशिप के पास दो मासूम बच्चे गहरे खदाननुमा गड्ढे में डूब गए। बारिश के पानी से भरे इस गड्ढे में डूबने से दोनों की मौत हो गई। यह हादसा न सिर्फ दो परिवारों के लिए गहरा शोक बनकर आया, बल्कि शहर में लापरवाह निर्माण कार्य और प्रशासनिक उदासीनता की गंभीर पोल भी खोल गया।

जानकारी के अनुसार, मृतक बच्चों की पहचान दिव्यांशु (पुत्र जितेंद्र भदौरिया) और कुलदीप (पुत्र अनिल) के रूप में हुई है। दोनों बच्चे कालिंदी गोल्ड सिटी के समीप स्थित एक निर्माणाधीन साइट के पास खेल रहे थे। यह गड्ढा वहां निर्माण कार्य के दौरान खोदा गया था, जिसमें बारिश का पानी भर चुका था। जब दोनों बच्चे उसमें फिसलकर गिर गए, तब उनके साथ मौजूद तीसरे दोस्त ने घटना की सूचना आस-पास के लोगों को दी। आनन-फानन में मौके पर पुलिस और बचाव दल पहुंचा और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। कड़ी मशक्कत के बाद दोनों बच्चों को बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उन्हें तुरंत अरविंदो अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

एडिशनल डीसीपी राम स्नेही मिश्रा ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि बच्चों की मौत पानी में डूबने से हुई है और पूरे मामले की जांच की जा रही है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह गड्ढा काफी गहरा था और वहां किसी भी प्रकार की चेतावनी या सुरक्षा के इंतजाम नहीं थे। पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है और जिम्मेदारों की तलाश की जा रही है।

यह हादसा ऐसे समय हुआ है जब महज दो दिन पहले ही इंदौर के गांधी नगर क्षेत्र में दो बच्चों की डूबने से मौत हो चुकी है। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं नगर निगम और टाउनशिप डेवलपर्स की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। स्थानीय रहवासियों का कहना है कि कॉलोनियों के आसपास कई ऐसे खतरनाक गड्ढे खुदे हुए हैं जिन्हें बारिश के मौसम में बंद नहीं किया गया है और न ही सुरक्षा की कोई व्यवस्था की गई है। इन गड्ढों में पानी भरने के बाद वे बच्चों के लिए जानलेवा जाल बन जाते हैं।

इस हादसे के बाद एक बार फिर मांग उठ रही है कि बिल्डर्स द्वारा छोड़े गए गड्ढों को सुरक्षित ढंग से भरवाया जाए या उनके चारों ओर बैरिकेडिंग व चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं। प्रशासन की अनदेखी और टाउनशिप प्रबंधनों की लापरवाही आने वाले समय में और भी मासूमों की जान ले सकती है यदि समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं की गई।

परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है और पूरे क्षेत्र में मातम का माहौल है। इस घटना ने शहर को झकझोर कर रख दिया है और लोगों में भारी आक्रोश है। इंदौर जैसे विकसित हो रहे शहर में अगर ऐसी बेसिक सुरक्षा को नजरअंदाज किया जाता रहा, तो विकास का दावा सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रह जाएगा।