09 October 2025
इंदौर में पुलिस का अनोखा नवाचार: थाने में बदमाशों से करवाया योग, मानसिक शांति और सुधार की राह दिखाने की कोशिश

इंदौर में पुलिस का अनोखा नवाचार: थाने में बदमाशों से करवाया योग, मानसिक शांति और सुधार की राह दिखाने की कोशिश

इंदौर, 5 अगस्त 2025
अपराध पर नियंत्रण के लिए इंदौर पुलिस ने एक बार फिर अपनी सोच से परे जाकर अनोखी पहल की है। अब तक आपने पुलिस थानों में पूछताछ या कार्रवाई होते देखी होगी, लेकिन इंदौर के एक थाने में बदमाशों को योग करते हुए देखा गया। यह सब पुलिस की उस नई सोच का हिस्सा है, जिसमें वे केवल अपराध पर सख्ती से नियंत्रण नहीं, बल्कि अपराधियों को मानसिक रूप से बदलने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने की कोशिश कर रही है।

दरअसल, इंदौर पुलिस ने हाल ही में उन बदमाशों को थाने बुलाया, जो पहले कई अपराधों में लिप्त रहे हैं या जिन पर निगरानी रखी जा रही है। लेकिन इस बार न तो डांट-फटकार हुई और न ही सख्ती से पूछताछ। बल्कि पुलिस अधिकारियों ने उन्हें मानसिक शांति और आत्मचिंतन का रास्ता दिखाते हुए योग करवाया।

इस पूरी प्रक्रिया का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें बदमाश पुलिसकर्मियों के साथ योगासन करते नजर आ रहे हैं। थाने के भीतर इस तरह की शांतिपूर्ण गतिविधि देख लोग हैरान भी हैं और प्रभावित भी।

पुलिस की मंशा क्या है?
एडिशनल डीसीपी राम स्नेही मिश्रा ने इस पहल पर बात करते हुए कहा:

“हम अपराधियों को केवल अपराधी मानकर छोड़ नहीं सकते। उनमें भी एक इंसान छिपा होता है, जो कभी समाज का हिस्सा था। अगर हम उन्हें सुधारने का मौका दें, उन्हें यह समझाएं कि उनका भी समाज में सम्मानजनक स्थान हो सकता है, तो कई अपराधी अपनी राह बदल सकते हैं। योग एक ऐसा माध्यम है जो मन और मस्तिष्क को स्थिर करता है और आत्मनियंत्रण सिखाता है।”

उन्होंने आगे बताया कि यह पहल इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अधिकांश अपराध मानसिक उत्तेजना, अस्थिरता और नकारात्मक सोच के कारण होते हैं। यदि इन अपराधियों के भीतर आत्मचिंतन और आत्मनियंत्रण की भावना लाई जाए, तो वे दुबारा अपराध की राह पर न जाकर समाज की भलाई में भागीदार बन सकते हैं।

यह पहल क्यों महत्वपूर्ण है?
पुलिस की यह पहल ‘सुधारात्मक पुलिसिंग’ की ओर एक ठोस कदम है, जिसमें कानून के डर के साथ-साथ सामाजिक मूल्यों और आत्मसुधार पर भी जोर दिया जा रहा है। इससे पहले भी इंदौर पुलिस ने बदमाशों की “पाठशाला” चला कर उन्हें सुधारने का प्रयास किया था, जिसमें उनके परिजनों को बुलाकर समाज और परिवार की जिम्मेदारी का एहसास दिलाया गया था।

अब योग जैसे साधन का उपयोग कर यह समझाने की कोशिश हो रही है कि मानसिक संतुलन और आत्मिक शांति से ही जीवन में स्थायित्व आता है, न कि हिंसा और अपराध से।

जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने पुलिस की इस पहल की सराहना की है। उनका मानना है कि यह तरीका न केवल पुलिस और आमजन के बीच विश्वास को बढ़ाएगा, बल्कि उन लोगों के लिए भी उम्मीद की किरण बनेगा जो अपराध की दलदल में फंस चुके हैं और बाहर निकलना चाहते हैं।