10 October 2025
इंदौर के MTH अस्पताल में दुर्लभ जुड़वां बच्चियों का जन्म, एक धड़ और दो सिर: डॉक्टरों ने किया जटिल सिजेरियन ऑपरेशन सफल

इंदौर के MTH अस्पताल में दुर्लभ जुड़वां बच्चियों का जन्म, एक धड़ और दो सिर: डॉक्टरों ने किया जटिल सिजेरियन ऑपरेशन सफल

इंदौर। 22 जुलाई 2025 की तड़के इंदौर के MTH अस्पताल में एक अत्यंत दुर्लभ और चिकित्सकीय रूप से जटिल मामले में डॉक्टरों ने सफलता पूर्वक पैरापेगस डायसेफेलस (Parapagus Dicephalus) प्रकार की जुड़वां बच्चियों को जन्म दिलवाया। इस स्थिति में दो सिर एक ही धड़ में जुड़े होते हैं। यह डिलीवरी आपातकालीन सिजेरियन ऑपरेशन के ज़रिए की गई।

देवास की महिला ने दिया अनोखी बच्चियों को जन्म
देवास जिले के हरनगांव के पलासी गांव की रहने वाली 22 वर्षीय महिला को 22 जुलाई की रात प्रसव पीड़ा शुरू होने पर गंभीर अवस्था में MTH अस्पताल लाया गया। महिला ने पहले हरनगांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रजिस्ट्रेशन कराया था और चार बार प्रसव पूर्व जांचें भी करवाई थीं, लेकिन गर्भावस्था के दौरान कोई जन्म दोष सामने नहीं आया था।

आधी रात हुआ आपातकालीन ऑपरेशन
अस्पताल में महिला की स्थिति को देखते हुए रात 12 बजे स्पाइनल एनेस्थीसिया के तहत इमरजेंसी लोअर सेगमेंट सिजेरियन सेक्शन (LSCS) किया गया। यह जटिल सर्जरी प्रसूति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. निलेश दलाल के नेतृत्व में की गई, जिसमें डॉ. अल्का पटेल, डॉ. शीतल हेडाओ, डॉ. इंदरलता सोलंकी, डॉ. नेहा राजपूत और डॉ. दिव्या शामिल थीं। टीम ने पूरी सतर्कता और विशेषज्ञता से माँ और नवजात की जान बचाई।

जुड़वां बच्चियों की दुर्लभ संरचना, SNCU में रखा गया
जन्म लेने वाली बच्ची का वजन 2.8 किलो है और उसमें दो सिर हैं लेकिन शरीर एक ही है। यह पैरापेगस डायसेफेलस जुड़वां की श्रेणी में आता है। बच्ची को तुरंत MTH अस्पताल की Sick Newborn Care Unit (SNCU) में भर्ती किया गया।

क्यों होता है ऐसा? विशेषज्ञों की राय
अस्पताल की अधीक्षक और वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुपमा दवे ने बताया,
“जब एक निषेचित अंडाणु गर्भावस्था की प्रारंभिक अवस्था में पूरी तरह दो भागों में विभाजित नहीं हो पाता, तब ऐसे जुड़वां भ्रूण बनते हैं जो शरीर के कुछ हिस्सों से जुड़े होते हैं। यह कोई वंशानुगत रोग नहीं है और न ही यह मां के स्वास्थ्य से सीधे जुड़ा होता है। इसे ‘विकास संबंधी दुर्घटना’ माना जाता है।” उन्होंने बताया कि विश्व स्तर पर इस प्रकार के जन्मों की संभावना 50,000 में से 1 से लेकर 2 लाख में 1 तक होती है।

विशेषज्ञों की टीम कर रही है समीक्षा
फिलहाल बच्ची की स्थिति की समीक्षा एक बहुविशेषज्ञीय टीम कर रही है, जिसमें पीडियाट्रिक सर्जन, नवजात विशेषज्ञ और इमेजिंग विशेषज्ञ शामिल हैं। सर्जिकल विभाजन संभव है या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अंगों की कार्यप्रणाली कितनी स्वतंत्र है।

प्रसवपूर्व जांच में रही भारी चूक
मामले ने ग्रामीण और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की प्रसवपूर्व जांच व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। चार बार जांच के बावजूद इतनी बड़ी जन्म दोष की जानकारी ना मिलना न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि यह दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य प्रणाली में अभी भी तकनीकी दक्षता और निगरानी की भारी कमी है। यही लापरवाही मातृ और नवजात मृत्यु दर के बढ़ते मामलों का प्रमुख कारण बन रही है।