09 October 2025
इंदौर में लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई: विद्युत वितरण कंपनी का इंजीनियर 10 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

इंदौर में लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई: विद्युत वितरण कंपनी का इंजीनियर 10 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

इंदौर, 7 अगस्त 2025 – इंदौर लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अहम कार्रवाई करते हुए मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के झोनल कार्यालय, सुभाष चौक में पदस्थ जूनियर इंजीनियर शैलेन्द्र पाटकर को 10,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया। इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध प्रशासन गंभीरता से कार्रवाई कर रहा है।

इस पूरे प्रकरण की शुरुआत इंदौर निवासी एक व्यवसायी सूर्यकांत सोनोने द्वारा की गई शिकायत से हुई। उन्होंने लोकायुक्त कार्यालय में लिखित शिकायत दी थी कि उन्होंने नलिया बाखल क्षेत्र में एक गोदाम किराए पर लिया है, जिसमें वे स्टीम मशीन से संबंधित व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहे हैं। इस व्यावसायिक इकाई को चालू करने के लिए उन्हें 10 किलोवाट विद्युत कनेक्शन की आवश्यकता थी, जिसके लिए बिजली वितरण कंपनी द्वारा ₹40,000 की शासकीय फीस तय की गई थी। लेकिन जब उन्होंने आवेदन किया, तो कंपनी में पदस्थ जूनियर इंजीनियर शैलेन्द्र पाटकर ने ₹10,000 की अतिरिक्त अवैध राशि की मांग की।

शिकायत की पुष्टि के लिए लोकायुक्त कार्यालय द्वारा प्राथमिक जांच कराई गई, जिसमें आरोपी इंजीनियर पर लगे आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए गए। इसके बाद एक विशेष ट्रैप टीम का गठन किया गया। टीम ने योजना के अनुसार शिकायतकर्ता को रिश्वत की राशि देने के लिए भेजा। जैसे ही आरोपी ने 10,000 रुपये की रिश्वत स्वीकार की और पैसे अपने पास रखे, लोकायुक्त की टीम ने तत्काल दबिश दी और उसे रंगेहाथ पकड़ लिया।

पूरे ऑपरेशन के दौरान टीम द्वारा निगरानी और प्रमाण एकत्र करने के लिए ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की गई, जिससे आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले। पकड़े जाने के बाद इंजीनियर शैलेन्द्र पाटकर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत गिरफ्तार किया गया और आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

लोकायुक्त निरीक्षक रेनू अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी के पास से रिश्वत की पूरी राशि बरामद कर ली गई है और उसे फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। इसके अलावा यह भी जांच की जा रही है कि क्या इस भ्रष्टाचार में अन्य कोई अधिकारी या कर्मचारी शामिल है।

यह मामला न सिर्फ सरकारी विभागों में पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है, बल्कि आम जनता को भी यह भरोसा दिलाता है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध की गई शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है। व्यवसायी सूर्यकांत सोनोने की सतर्कता और साहसिक पहल के कारण एक भ्रष्ट अधिकारी को पकड़ा जा सका, जो भविष्य में अन्य पीड़ितों को भी जागरूक करने का काम करेगा।

लोकायुक्त संगठन द्वारा की गई यह कार्रवाई प्रशासनिक तंत्र को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह संदेश भी स्पष्ट है कि सरकारी पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई अवैध मांग को अब नजरअंदाज नहीं किया जाएगा, और हर भ्रष्टाचारी पर कानून का शिकंजा जरूर कसेगा।