
इंदौर सिर्फ स्वच्छता में ही नहीं, डॉग बाइट मामलों में भी नंबर वन; भोपाल सबसे सुरक्षित शहर, नेशनल हेल्थ मिशन की रिपोर्ट में खुलासा
इंदौर | 9 अगस्त 2025
स्वच्छता के मामले में लगातार देश में नंबर वन रहने वाला इंदौर अब एक और आंकड़े में शीर्ष पर आ गया है, लेकिन इस बार मामला गर्व का नहीं बल्कि चिंता का है। नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) द्वारा जारी ताज़ा रिपोर्ट में इंदौर डॉग बाइट (कुत्तों के काटने) के मामलों में प्रदेश में शीर्ष स्थान पर दर्ज हुआ है। वहीं, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सबसे सुरक्षित शहर के रूप में उभरा है, जहां इस मामले में सबसे कम घटनाएं दर्ज हुई हैं।
यह रिपोर्ट वर्ष 2024 और जनवरी से जून 2025 की अवधि के आंकड़ों पर आधारित है, जिसे राष्ट्रीय रैबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत तैयार किया गया। इस कार्यक्रम में राज्य के छह प्रमुख शहरों — रतलाम, उज्जैन, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और भोपाल — को शामिल किया गया था। आंकड़ों के मुताबिक, रतलाम में डॉग बाइट के सबसे ज्यादा मामले सामने आए, उज्जैन दूसरे, इंदौर तीसरे, जबलपुर चौथे और ग्वालियर पांचवें स्थान पर रहा। हैरानी की बात यह है कि राजधानी भोपाल सबसे आखिरी यानी छठे नंबर पर रहा, जहां मामलों की संख्या सबसे कम रही।
रिपोर्ट में दिए गए आंकड़े चौंकाने वाले हैं। वर्ष 2024 में भोपाल में कुल 19,285 डॉग बाइट के मामले दर्ज हुए थे। प्रतिशत के हिसाब से यह आंकड़ा मात्र 0.8% रहा। और तो और, जनवरी से जून 2025 तक की अवधि में यह प्रतिशत घटकर सिर्फ 0.07% रह गया, जो प्रदेश के छह शहरों में सबसे कम है। यह कमी इस बात का संकेत है कि भोपाल नगर निगम ने इस दिशा में ठोस और व्यवस्थित प्रयास किए हैं।

भोपाल की कार्ययोजना बनी उदाहरण
रैबीज मुक्त शहर-2030 मिशन के तहत भोपाल नगर निगम ने भारत सरकार को विस्तृत कार्य योजना भी सौंपी है। फिलहाल मध्य प्रदेश में भोपाल ही ऐसा शहर है जिसने समय पर यह योजना भेजी है। इस योजना के तहत नगर निगम शहर में 3 एबीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल) सेंटर संचालित कर रहा है, जहां हर साल लगभग 22,000 श्वानों का नसबंदी ऑपरेशन किया जाता है। भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक 10 वार्डों पर एक नसबंदी केंद्र होना चाहिए, लेकिन संसाधन सीमित होने के बावजूद भोपाल में उपलब्ध केंद्रों पर मानक से अधिक नसबंदी ऑपरेशन किए जा रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि डॉग बाइट के मामलों में पिछले साल के मुकाबले उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है।
इंदौर में चिंता का विषय
दूसरी ओर, इंदौर में डॉग बाइट के मामले ज्यादा होने के बावजूद इस दिशा में कोई बड़ी और सार्वजनिक रूप से साझा की गई योजना सामने नहीं आई है। शहर की आबादी और खुले में घूमते श्वानों की संख्या को देखते हुए यह समस्या लगातार बढ़ सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जिस तरह इंदौर ने स्वच्छता में एक ठोस और योजनाबद्ध मॉडल अपनाकर देशभर में पहचान बनाई, उसी तरह डॉग बाइट और रैबीज नियंत्रण के लिए भी एक दीर्घकालिक कार्ययोजना बनानी होगी।
प्रदेश स्तर पर चुनौती
नेशनल हेल्थ मिशन की रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा करती है कि रतलाम, उज्जैन और इंदौर जैसे बड़े शहरों में डॉग बाइट का खतरा ज्यादा है। रैबीज एक जानलेवा बीमारी है, जो डॉग बाइट के मामलों में समय पर और उचित इलाज न मिलने पर गंभीर रूप ले सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि अगर इस पर अभी से नियंत्रण के उपाय नहीं किए गए, तो आने वाले वर्षों में यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
भोपाल का मॉडल बन सकता है उदाहरण
भोपाल में उपलब्ध सीमित संसाधनों के बावजूद जिस तरह श्वानों की नसबंदी और नियंत्रण के उपाय किए गए हैं, वह दूसरे शहरों के लिए एक उदाहरण हो सकता है। शहर में न केवल ऑपरेशन की संख्या मानक से अधिक है, बल्कि इसका सीधा असर डॉग बाइट के मामलों में गिरावट के रूप में देखा गया है। नगर निगम के अधिकारी बताते हैं कि यह प्रयास आगे भी जारी रहेंगे और 2030 तक भोपाल को पूरी तरह रैबीज फ्री शहर बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
इस रिपोर्ट ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जिस तरह स्वच्छता, स्वास्थ्य और बुनियादी सेवाओं में योजनाबद्ध प्रयास से बदलाव संभव है, उसी तरह डॉग बाइट जैसी समस्या को भी नियंत्रित किया जा सकता है। अब देखना यह होगा कि इंदौर, उज्जैन और रतलाम जैसे शहर इस दिशा में कितनी जल्दी और गंभीरता से कदम उठाते हैं।
- By Pradesh Express
- Edited By: Pradesh Express Editor
- Updated: Sat, 09 Aug 2025 10:30 AM (IST)