09 October 2025
इंदौर में जन्मे जुड़वां शिशुओं की देवास में मौत, डॉक्टरों की चेतावनी के बावजूद परिवार घर ले गया

इंदौर में जन्मे जुड़वां शिशुओं की देवास में मौत, डॉक्टरों की चेतावनी के बावजूद परिवार घर ले गया

इंदौर के एमटीएच अस्पताल में 22 जुलाई को जन्मे दुर्लभ चिकित्सकीय स्थिति वाले जुड़वां शिशुओं की गुरुवार को देवास स्थित उनके घर पर मौत हो गई। इन शिशुओं का जन्म एक ही शरीर और दो सिर के साथ हुआ था, जिसे चिकित्सकीय भाषा में पैरापागस डाइसिफेलस कहा जाता है। जन्म के बाद से ये नवजात शिशु एसएनसीयू में गहन निगरानी में थे, लेकिन परिवार ने डॉक्टरों की सलाह नजरअंदाज कर उन्हें घर ले जाने का निर्णय लिया।

6 अगस्त को हरंगांव (जिला देवास) के पलासी गांव की 22 वर्षीय मां ने अस्पताल से लीव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस (LAMA) के तहत बच्चों को डिस्चार्ज करा लिया। महज 24 घंटे से भी कम समय में दोनों ने दम तोड़ दिया।

विशेषज्ञ का क्या कहना हैं?

वरिष्ठ नवजात रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रीति मालपानी के अनुसार, “इन शिशुओं का एक शरीर था, लेकिन दो सिर थे। फेफड़े, हाथ-पैर और अधिकांश अंग एक ही थे, जबकि दो दिल थे — एक अधूरा विकसित और दूसरा गंभीर रूप से दोषपूर्ण। जो दिल काम कर रहा था, उसे दोनों दिमागों तक रक्त पहुंचाना पड़ रहा था, जिससे वह अत्यधिक दबाव में था।”

डॉ. मालपानी ने बताया कि ऐसे मामलों में जीवित रहने की संभावना 0.1% से भी कम होती है। “अगर ये जीवित भी रहते, तो परिवार को जीवनभर गंभीर चिकित्सकीय और भावनात्मक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता,” उन्होंने कहा।

बाल शल्य चिकित्सकों ने भी इन्हें अलग करने की संभावना को खारिज कर दिया, क्योंकि दोनों सिर गर्दन से जुड़े थे और साझा अंगों का विभाजन संभव नहीं था।

डॉ. मालपानी ने स्पष्ट किया, “दुनिया में केवल वही दुर्लभ मामले सर्जरी के लिए उपयुक्त होते हैं, जहां सिर अलग हों और साझा अंगों को बांटा जा सके। यह मामला उन मानकों पर खरा नहीं उतरता था।”

इनका जन्म 22 जुलाई की सुबह आपातकालीन सी-सेक्शन से हुआ। मां का पंजीयन हरंगांव पीएचसी में था और गर्भावस्था के दौरान चार बार जांच हुई थी, लेकिन कोई जन्मजात दोष सामने नहीं आया। जब तक वह एमटीएच अस्पताल पहुंचीं, प्रसव की प्रक्रिया काफी आगे बढ़ चुकी थी।