09 October 2025
जनसुनवाई में ज़मीन और पारिवारिक विवादों की भरमार, आर्थिक सहायता के लिए भी आए कई आवेदन; अपर कलेक्टर ने त्वरित निराकरण के दिए निर्देश

जनसुनवाई में ज़मीन और पारिवारिक विवादों की भरमार, आर्थिक सहायता के लिए भी आए कई आवेदन; अपर कलेक्टर ने त्वरित निराकरण के दिए निर्देश

इंदौर, 5 अगस्त 2025 — इंदौर जिला प्रशासन द्वारा आयोजित साप्ताहिक जनसुनवाई में एक बार फिर बड़ी संख्या में नागरिक अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचे। इस जनसुनवाई में ज़मीन के मालिकाना हक, अवैध कब्जे, संपत्ति के बंटवारे, पारिवारिक विवादों और आर्थिक तंगी जैसे कई गंभीर मामलों को लेकर लोगों ने आवेदन प्रस्तुत किए।

जनसुनवाई के दौरान यह साफ तौर पर देखने को मिला कि ज़मीन संबंधी विवाद अब भी आम नागरिकों की प्रमुख समस्याओं में शामिल हैं। कई आवेदकों ने आरोप लगाया कि उनकी ज़मीन पर दूसरों ने अवैध कब्जा कर लिया है, जबकि कुछ ने ज़मीन के कागजात और स्वामित्व को लेकर चल रहे कानूनी विवादों का जिक्र किया। कुछ मामलों में बंटवारे को लेकर परिवार के सदस्यों के बीच तनाव की स्थिति भी सामने आई।

सिर्फ ज़मीन ही नहीं, बल्कि पारिवारिक विवादों की भी भरमार देखने को मिली। पति-पत्नी के आपसी विवाद, संयुक्त परिवारों में संपत्ति को लेकर खींचतान और घरेलू कलह जैसी समस्याएं लेकर कई लोग पहुंचे। इन मामलों में महिलाएं भी बड़ी संख्या में अपनी बात रखने आईं और प्रशासन से न्याय की मांग की।

जनसुनवाई के दौरान आर्थिक सहायता की भी कई अपीलें सामने आईं। गरीबी, बेरोजगारी और आय के साधनों की कमी जैसी समस्याओं को लेकर कई लोगों ने मदद की गुहार लगाई। कुछ वरिष्ठ नागरिकों ने पेंशन में रुकावट की बात कही तो कई युवा बेरोजगारी भत्ते और स्वरोजगार योजनाओं की जानकारी और सहायता के लिए पहुंचे।

इन सभी मामलों को गंभीरता से लेते हुए अपर कलेक्टर गौरव बैनर ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक आवेदन की निष्पक्ष जांच की जाए और तय समयसीमा के भीतर उसका निराकरण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनसुनवाई का मकसद केवल शिकायतें सुनना नहीं, बल्कि पीड़ितों को शीघ्र और प्रभावी समाधान उपलब्ध कराना है।

अपर कलेक्टर ने कहा कि “प्रशासन आमजन की समस्याओं के प्रति संवेदनशील है और हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि कोई भी व्यक्ति न्याय से वंचित न रहे। सभी विभागों को निर्देशित किया गया है कि वे प्रत्येक आवेदन को प्राथमिकता दें और कार्यवाही की जानकारी आवेदकों को समय पर दी जाए।”

जनसुनवाई के इस आयोजन ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि प्रशासनिक स्तर पर संवाद की यह प्रक्रिया नागरिकों के विश्वास को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभा रही है।