10 October 2025
इंदौर में आयोजित हुई ‘न्यायवाणी 2025’ कार्यशाला, न्याय प्रणाली में तकनीक और फोरेंसिक साइंस के उपयोग पर हुआ मंथन

इंदौर में आयोजित हुई ‘न्यायवाणी 2025’ कार्यशाला, न्याय प्रणाली में तकनीक और फोरेंसिक साइंस के उपयोग पर हुआ मंथन

इंदौर। अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय और इंदौर जिला न्यायालय इकाई के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को रविंद्र नाट्यगृह में ‘न्यायवाणी 2025’ कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। “न्याय प्रणाली में तकनीक और फोरेंसिक विज्ञान का उपयोग” विषय पर आधारित इस एक दिवसीय कार्यशाला में प्रदेशभर से 1000 से अधिक अधिवक्ताओं ने भाग लिया। कार्यशाला में न्यायपालिका और विधिक क्षेत्र की कई प्रमुख हस्तियां भी मौजूद रहीं।

कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा, इंदौर खंडपीठ के प्रशासनिक न्यायाधीश विवेक रूसिया, ग्वालियर खंडपीठ के प्रशासनिक न्यायाधीश आनंद पाठक सहित अन्य माननीय न्यायाधीशों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।

विभिन्न सत्रों में मध्यप्रदेश के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (भोपाल) के विशेष कर्तव्य अधिकारी और एमपी राज्य फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के पूर्व निदेशक डॉ. हर्ष शर्मा, अधिवक्ता विक्रम दुबे (राष्ट्रीय सचिव, अधिवक्ता परिषद), अधिवक्ता उमेश यादव समेत कई विशेषज्ञों ने तकनीकी और वैज्ञानिक विधियों के न्याय में समावेशन पर अपने विचार साझा किए।

इंदौर हाईकोर्ट इकाई के अध्यक्ष अधिवक्ता सुनील जैन और महासचिव अधिवक्ता प्रसन्न भटनागर ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य अधिवक्ताओं को फोरेंसिक साइंस और डिजिटल टूल्स के प्रयोग से होने वाले व्यावहारिक लाभों से अवगत कराना था, ताकि न्याय प्रणाली और अधिक वैज्ञानिक, पारदर्शी और त्वरित बन सके।

कार्यशाला की तैयारियां पिछले एक माह से चल रही थीं। इसके तहत मालवा अंचल के 16 जिलों में जागरूकता अभियान भी चलाए गए थे। प्रतिभागियों ने कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी और ज्ञानवर्धक बताया।