
बंदर के डर से गांव में स्कूल सूने, 20 दिन में 15 ग्रामीण घायल
रतलाम जिले की आलोट तहसील से 12 किमी दूर हिंगड़ी गांव में एक बंदर ने 20 दिनों से दहशत मचा रखी है। इस बंदर ने अब तक 15 ग्रामीणों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया है। डर के कारण गांव के 25 से अधिक बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। गांव की गलियां सूनी पड़ी हैं और लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। ग्रामीणों ने बंदर की शांति के लिए सुंदरकांड और धार्मिक अनुष्ठान कराए, लेकिन बंदर का आतंक खत्म नहीं हो रहा।
गुरुवार को जब दैनिक भास्कर की टीम गांव पहुंची, तो वहां सन्नाटा पसरा था। प्राइमरी स्कूल के शिक्षक रमेशचंद मालवीय ने बताया कि कुछ दिन पहले मिड-डे मील बनाने वाले रामचंद्र धाकड़ पर बंदर ने हमला कर उनके पैर पर काट लिया, जिससे खून निकलने लगा। यह देखकर स्कूल के बच्चों में डर बैठ गया। अब स्कूल में केवल 4-5 बच्चे ही आ रहे हैं, जबकि पहले 30 से अधिक बच्चे नियमित आते थे।
ग्रामीण श्रवण धाकड़ ने बताया कि यह बंदर किसी अकेले व्यक्ति को देखते ही हमला कर देता है और फिर पास के पेड़ पर चढ़कर भाग जाता है। 65 वर्षीय कंचन बाई ने बताया कि वह दूध लेकर लौट रही थीं, तभी पीछे से बंदर ने हमला कर काट लिया। इसके बाद से वह घर से बाहर नहीं निकल रही हैं। इसी तरह कांति बाई पर भी सुबह के समय हमला हुआ।
गांव के संतोष धाकड़ ने बताया कि ग्रामीणों का मानना है कि बंदर का धार्मिक महत्व है और इसे मारना अशुभ माना जाता है। लोग कहते हैं कि बंदर को मारने वाले के घर तीन पीढ़ियों तक संतान नहीं होती। इस डर से ग्रामीणों ने सुंदरकांड और अन्य धार्मिक अनुष्ठान कराए ताकि बंदर शांत हो जाए, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।
ग्रामीणों ने वन विभाग और प्रशासन से बंदर को पकड़ने की मांग की है। वन विभाग ने 20 दिन पहले गांव में पिंजरा लगाकर बंदर को पकड़ने का प्रयास किया था, लेकिन यह असफल रहा। रेंजर कमल देवड़ा ने बताया कि बंदर एक जगह पर नहीं टिकता, जिससे ट्रैंक्विलाइजर गन से बेहोश कर पकड़ना भी मुश्किल हो रहा है। उज्जैन से दो बार रेस्क्यू टीम बुलाई गई, लेकिन बंदर को पकड़ा नहीं जा सका। पहले दिन बंदर जंगल की ओर भाग गया और दूसरे दिन वह दिखाई ही नहीं दिया। पिछले दो दिनों में बंदर ने कोई हमला नहीं किया है, लेकिन गांव में दहशत अभी भी बनी हुई है।
इन ग्रामीणों पर किया बंदर ने हमला:
रामचंद्र पिता पूरालाल धाकड़ (70 वर्ष)
कंचन बाई धाकड़ (70 वर्ष)
कालूराम धाकड़ (65 वर्ष)
कविता धाकड़ (25 वर्ष)
कांति बाई धाकड़ (25 वर्ष)
तेजू सिंह (30 वर्ष)
प्रहलाद धाकड़ (30 वर्ष)
मांगीलाल धाकड़ (60 वर्ष)
सीताबाई धाकड़ (55 वर्ष)
प्रहलाद सिंह पिता अमर सिंह (30 वर्ष)
भेरू सिंह पिता गंगाराम (30 वर्ष)
गंगाराम पिता मोहनलाल (40 वर्ष)
जुझार धाकड़ पिता नंद की (55 वर्ष)

इसके अलावा, बंदर ने एक गाय और बछड़े पर भी हमला किया है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द बंदर को गांव से हटाया जाए, ताकि लोग सामान्य जीवन जी सकें और बच्चे फिर से स्कूल लौट सकें।
- By Pradesh Express
- Edited By: Pradesh Express Editor
- Updated: Fri, 11 Jul 2025 10:54 AM (IST)